September 25, 2024

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नवरात्री 2020 17 से नवरात्रि प्रारंभ जानिए क्या हैं व्रत के नियम शुभ मुहूर्त पूजा विधि और कलश स्‍थापना:-

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नवरात्रि 2020 यानी कि नौ रातें शरद नवरात्र हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं जिसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है.इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्‍टूबर तक है|

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नवरात्रि शक्ति साधना का पर्व है| वैसे तो माता का प्रेम अपनी संतान पर सदा ही बरसता रहता है| पर कभी-कभी यह प्रेम छलक पड़ता है| तब वह अपनी संतान को सीने से लगाकर अपने प्यार का अहसास कराती हैं, संरक्षण का आश्वासन देती हैं. नवरात्रि की समयावधि भी आद्यशक्ति की स्नेहाभिव्यक्ति का ऐसा ही विशिष्ट काल है. यही शक्ति विश्व के कण-कण में विद्यमान है. शास्त्रकारों से लेकर ऋषि-मनीषियों सभी ने एकमत होकर शारदीय नवरात्रि की महिमा का गुणगान किया है. नवरात्रि के पावन पर्व पर देवता अनुदान-वरदान देने के लिए स्वयं लालायित रहते हैं. नवरात्रि की बेला शक्ति आराधना की बेला है. माता के विशेष अनुदानों से लाभान्वित होने की बेला है. हम चाहें या न चाहें परिवर्तन तो होना ही है, सृष्टि की संचालिनी शक्ति इस विश्व-वसुन्धरा के कल्याण के लिए कटिबद्ध है. आत्मसुधार कर हम भी उसके उद्देश्य में सहयोगी बनें, यही इस नवरात्रि का संदेश है.

नवरात्रि 2020यानी कि नौ रातें. शरद नवरात्र हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं जिसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की आराधना करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं. यह पर्व बताता है कि झूठ कितना भी बड़ा और पाप कितना भी ताकतवर क्‍यों न हो अंत में जीत सच्‍चाई और धर्म की ही होती है|

Navratri 2020 starting from October 17 Saturday know the story of the  origin of the 9 goddesses

शारदीय नवरात्रि मुख्‍य नवरात्रि माना जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्‍ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्‍योहार हर साल सितंबर-अक्‍टूबर के महीने में आता है. इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्‍टूबर तक है. 26 अक्‍टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा|

 

Navratri 2020 date time 17 October Shardiya navratri significance kalash  sthapana shubh muhurat durga puja calendar in hindi: Navratri 2020:19 साल  बाद शारदीय नवरात्र पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें क -

17 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.

18 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारिणी पूजन.

19 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.

20 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन.

21 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन.

22 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, सरस्‍वती पूजन.

23 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, कात्‍यायनी पूजन.

24 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, कालरात्रि पूजन, कन्‍या पूजन.

25 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण

26 अक्टूबर 2020: विजयदशमी या दशहरा

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हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. जहां चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है वहीं, शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक है. यह त्‍योहार इस बात का द्योतक है कि मां की ममता जहां सृजन करती है. वहीं, मां का विकराल रूप दुष्‍टों का संहार भी कर सकता है. नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं. मान्‍यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का वध किया था. बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि साल के इन्‍हीं नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती हैं. ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्‍सव के रूप में मनाया जाता है.

नवरात्रि 2020 का त्‍योहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों की पूजा की जाती है. भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं. पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है. इन नौ दिनों में रामलीला का मंचन भी किया जाता है. वहीं, पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी कि षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है. नवरात्रि में गुजरात और महाराष्‍ट्र में डांडिया रास और गरबा डांस की धूम रहती है. राजस्‍थान में नवरात्रि के दौरान राजपूत अपनी कुल देवी को प्रसन्‍न करने के लिए पशु बलि भी देते हैं. तमिलनाडु में देवी के पैरों के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर घर में स्‍थापित किया जाता है, जिसे गोलू या कोलू कहते हैं. सभी पड़ोसी और रिश्‍तेदार इस झांकी को देखने आते हैं. कर्नाटक में नवमी के दिन आयुध पूजा होती है. यहां के मैसूर का दशहरा तो विश्‍वप्रसिद्ध है.

अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं, तो व्रत रखन के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए.

– नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.

– पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.

– दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.

– शाम के समय मां की आरती उतारें.

– सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.

– फिर भोजन ग्रहण करें.

– हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.

– अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं. उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.

– अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

नवरात्रि 2020 में कलश स्‍थापना का विशेष महत्‍व है. कलश स्‍थाप नाको घट स्‍थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्‍थापना के साथ ही होती है. घट स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्‍यता है कि गलत समय में घट स्‍थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्‍या के दिन घट स्‍थापित करने की मनाही है. घट स्‍थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्‍थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्‍थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार घट स्‍थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्‍ध नहीं है.

कलश स्‍थापना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020

कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक.

कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्‍के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्‍नान कर लें.

– मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योत जलाएं. – कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं.

– अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्‍से में मौली बांधें.

– अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.

– इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं.

– अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें.

– अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं.

– कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है.

– आप चाहें तो कलश स्‍थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं|

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