किरण बेदी को क्यों याद कर रहे हैं सड़कों पर उतरे पुलिसवाले, वजह 31 साल पुरानी है
1 min readदिल्ली पुलिस के हजारों जवान मंगलवार(5 नवंबर)सुबह से ही दिल्ली की रक्षा और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।उनके प्रदर्शन की वजह है तीस हजारी कोर्ट में शनिवार को हुई हिंसक झड़प,जिसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती,किसी भी वकील पर कार्रवाई न की जाए।अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए सड़क पर उतरे पुलिसकर्मियों का यह प्रदर्शन अपनी तरह का पहला मामला है।
इस बीच पुलिसकर्मी कई तरह के नारे लिखी तख्तियां लेकर प्ररदर्शन कर रहे हैं जिसमें उन्होंने अपनी मांगें लिखी हैं।पुलिसवाले एक नारा यह भी लगा रहे हैं कि,’पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’।यह नारा पुलिसवालों ने तब भी लगाया जब कमिश्नर अमूल्य पटनायक उन्हें मनाने के लिए आए थे।
शनिवार को तीस हजारी कोर्ट परिसर में बवाल ने 31 साल पहले यहीं हुए वकीलों पर लाठीचार्ज की याद को ताजा कर दिया है।1988 में झड़प के बाद पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज किया था।उसमें कई वकील घायल हुए थे।दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष केसी मित्तल ने बताया कि अदालतों के इतिहास में वकीलों और पुलिस के बीच कई बार झड़पें हुई हैं,लेकिन कभी किसी वकील पर गोली चलाने जैसी घटना सामने नहीं आई।उन्होंने कहा कि तीस हजारी अदालत में 1988 में वकीलों पर पुलिस के लाठीचार्ज की घटना अब तक सबसे निंदनीय थी।तत्कालीन डीसीपी किरण बेदी थीं।शनिवार की घटना उससे भी बड़ी है।मित्तल ने सवाल उठाया कि पुलिस के गोली चलाने के लिए कौन जिम्मेदार है।
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजीव नसीयर ने बताया कि विजय वर्मा(40)उनके जुनियर रह चुके हैं।वह यहां 10-12 साल से वकालत कर रहे हैं।पार्किंग को लेकर झगड़े के दौरान विजय भीड़ देखकर वहां गए थे।उस दौरान कोर्ट के गेट नंबर 2 के पास स्थित तीसरी बटालियन के लॉकअप में काफी पुलिसकर्मी थे।तभी वकीलों को लगा कि पुलिसकर्मी किसी वकील को अंदर बंद करके पीट रहे हैं।वकील लॉकअप के गेट पर तैनात पुलिसकर्मियों से इसे खोलने को कह रहे थे।पुलिसकर्मियों ने अचानक लॉकअप के अंदर से गोली चलाई,जो विजय को लग गई।
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