महागौरी के दर्शन से मिलता है संतान सौभाग्य का वर:-
1 min readशारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के आराधना व उपासना से आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां महागौरी के दर्शन का विधान है। शिव की नगरी काशी में महागौरी के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तो की लम्बी कतार लगी है। भक्त हाथो में नरियल, चुनरी और माँ का पसंदीदा गुड़हल के फूल लिए उनके दर्शन के लिए मंदिर पहुँच रहे है। मान्यताओं के अनुसार, माँ महागौरी के दर्शन मात्र से मंगल कल्याण की प्राप्ति होती है। काशी में महागौरी अन्नपूर्णा रूप में विराजमान है। अन्नपूर्णा देवी का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की गली में स्थित है।
महागौरी के दर्शन से आरोग्य व संतान सुख की प्राप्ति होती है। देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप के रूप में महागौरी देवी मानी गई हैं। देवी का वाहन वृषभ है। देवी के दर्शन-पूजन से अलौकिक सुख व शांति की अनुभूति होती है तथा जीवन में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। देवी को लाल फूल की माला, चुनरी, नारियल, फल एवं विविध मिष्ठान के साथ ही कमलगट्टा, चन्दन व नूतन वस्त्र आदि अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
माँ का स्वरूप शंख और चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी हैं। यह भगवान शिवजी की अर्धांगिनी हैं। कठोर तपस्या के बाद देवी ने शिवजी को अपने पति के रुप में प्राप्त किया था। महागौरी की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने का विधान है लेकिन अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है।