September 25, 2024

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पूर्वांचल के इस जनपद में विराजते हैं शनि देव, भक्तों की मनोकामनाएं करते हैं पूर्ण:-

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भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है। शनि धाम के रूप में इस मंदिर की मान्यता देश भर में है। जिले के विश्वनाथगंज बाज़ार से लगभग दो किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन और पौराणिक मंदिर है। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है। अवध क्षेत्र का यह एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई ज़िलों के भक्त आते हैं। प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

इन शनि मंदिरों में दर्शन कर आप पा सकते हैं मनवांछित फल

शनि धाम एक श्री यन्त्र की तरह है- दक्षिण की तरफ प्रयाग, उत्तर की तरफ अयोध्या, पूर्व में काशी और पश्चिम में तीर्थ गंगा है। इससे इस शनिधाम की मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस मन्दिर के संदर्भ में अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं जो इसके चमत्कारों की गाथा और इसके प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा को दर्शाते हैं। मंदिर के विषय में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं जिसमें से एक मान्यता अनुसार कहा जाता है की शनि भगवान कि प्रतिमा स्वयंभू है जो कि कुश्फारा के जंगल में एक ऊंचे टीले पर गड़ा पाया गया था। मंदिर के महंथ स्वामी परमा महाराज ने शनि कि प्रतिमा खोज कर मंदिर का निर्माण कराया।मंदिर बकुलाही नदी के किनारे ऊंचे टीले पर विराजे शनिदेव के दरबार के दर्शन के लिए प्रत्येक शनिवार श्रद्धालु पहुंचते हैं। हर शनिवार को मंदिर प्रांगन में भव्य मेला का आयोजन होता है।

शनिवार के हर मेले में भारी संख्या में भक्त दर्जन पूजन करते हैं।पुजारी बताते हैं कि यह पे आदिकालीन बाल्मीकि जी का आश्रम रहा है। और यह गांव कुशफरा है। जहां कुश पैदा हुए थे पहले था यह कुशपुरा के बाद यह कुशफरा हुआ यहां पर शनि देव भगवान स्वता खुद प्रगट हुए हैं। और मूर्ति सत्ता मिली है और यह मूर्ति कहीं से खरीदी नहीं गई है ना कहीं से लाई गई है यहीं से या मूर्ति मिली है। यहां एक बड़ा टीला था उसी टीले पर या मूर्ति पड़ी रही सन 86 मी जब बाबा यहां आए तो टीले के सहारे धीरे-धीरे सहारे आकर शनि देव बाबा की आशीर्वाद से यहां आज एक बड़ी विचारधारा मंदिर बनकर तैयार हुई है गेस्ट हाउस भी है और पुलिस चौकी भी है अस्पताल भी है विद्यालयों सौर ऊर्जा के प्लांट भी लगे हुए हैं और दर्शनार्थी की रहने की व्यवस्था यहां पर है और यहां जिसको कहीं भोजन न मिलता हो शनि देव मंदिर पर उसके लिए भोजन की पूर्ण रूप में व्यवस्था रखी है क्या खाने के लिए और सोने के लिए उसको पूर्णरूपेण जो है उसकी व्यवस्था की गई है और यहां गौशाला भी है। गौवे भी पाली गई हैं और गोवे का पूर्णरूपेण व्यवस्था भी होता है बाबा की कृपा से बाबा के प्रभाव से सारी व्यवस्था है यहां बाबा का भोग कई प्रकार का लगता है 56 प्रकार का भोग विशेष पर्व पर ही लगता है रोज लड्डू मेवा मिष्ठान का भोग रोज लगते हैं लेकिन उसकी कोई गिनती गणना नहीं है काफी मात्रा में काफी गणना के अनुसार भोग लग जाती है जो एक बार बाबा के दरबार में आ जाता है बाबा अपने आप खींच लाते हैं बाबा सबके मनोरथ को पूर्ण करते हैं यहां हिंदुस्तान के कि कई डिग्री डिप्लोमा वाले आते हैं ऐसा नहीं है कि ना आंते हो यहां सब आते हैं बाबा शनि देव भगवान उनके मनोरथ को पूर्ण करते हैं बाबा बर्मा महाराज का घर 10 किलोमीटर दूर जलालपुर गांव कटरा मेदनीगंज के हैं।

सरकार की गाइडलाइन को जो भी श्रद्धालु आए कोरोना से बचने के लिए सरकार की गाइडलाइन नियमों का पालन करें। दर्शनार्थियों अंकुश सिंह का मानना है यहां पर जो भी लोग आते हैं बाबा शनि देव भगवान का इतना महिमा है कि जो भी श्रद्धालु जो मनोकामना मांगते हैं बाबा उनकी मनोकामना को पूर्ण करता है और जो एक बार दर्शन करने बाबा के दरबार मैं आता है बाबा का इतना महिमा है कि वह बार-बार बाबा शनि देव भगवान की महिमा से खिंचा चला आता है या बकुला ही नदी के किनारे पर मंदिर स्थित है जोकि रामायण में इसका जिक्र बालकनी नाम से जाना जाता है यहां पर अब बकुला ही के नाम से जाना जाता है जो मछलियां बकुलाही नदी में है। मंदिर परिसर के द्वारा मछलियों को चारा डाला जाता है और किसी को भी मछलियां पकड़ने की अनुमति नहीं है श्रद्धालु मुकेश पाल का कहना है की जो भी श्रद्धालु यहां आते हैं मनोकामना पूर्ण होती है।

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