May 5, 2024

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बोरवेल में गिरा 4 वर्षीय मासूम हार गया जिंदगी की जंग :-

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(यूपी)। बोरवेल में गिरा मासूम आखिरकार 20 घंटों की तक जिंदगी की जंग लड़ता हुआ हार गया। बीते बुधवार महोबा में एक किसान का 4 साल का बेटा खेल रहा था। खेत में बोरवेल का काम हुआ था और किसान उसे बंद करवाना भूल गया। किसान की छोटी-सी नासमझी उसके ही बेटे का जीवन निगल गई। एनडीआरएफ की मदद से बोरवेल से मासूम को बाहर निकालने के लिए 20 घंटों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, पर अफसोस मासूम जीवन से हार गया। घटना महोबा में कुलपहाड़ क्षेत्र के बुधौरा गांव की है, जहां बुधवार खेत में खेलते हुए 4 साल का धनेन्द्र बोरवेल में गिर गया। यहां विकासखंड जैतपुर के बुधौरा गांव का रहने वाला भगीरथ कुशवाहा बुधवार को गेहूं के खेत में सिंचाई करने अपने परिवार के साथ गया था। खेत पर उनका 4 वर्षीय बेटा धनेन्द्र भी था, सभी लोग सिंचाई में व्यस्त हो गए।

जिंदगी की जंग हार गया निवाड़ी में बोरवेल में फंसा 4 साल का बच्चा

मासूम धनेन्द्र खेलते-खेलते खेत पर बने करीब 1 फीट की चौड़ाई वाले बोरवेल में जा गिरा। बुधवार को करीब 2 बजे जब भगीरथ व उनकी पत्नी को सिंचाई से फुरसत मिली तो धनेन्द्र को आवाज दी। मासूम का जवाब न मिलने पर परिवार ने उसे ढूंढना शुरू किया तो पास के बोरवेल से रोने की आवाज सुनी तो होश उड़ गए। घटना की जानकारी मिलते ही थाना बेलाताल पुलिस फोर्स, कुलपहाड़ एसडीएम मोहम्मद अवेश व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलाताल के डॉक्टर व अन्य अफसर मौके पर पहुंच गए। प्रशासन ने फायर ब्रिगेड समेत जेसीबी मशीन को बुलाकर बोरवेल की खुदाई शुरू करा दी। धनेन्द्र की जान बचाने के लिए बोरवेल में नली के जरिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराई, साथ ही मासूम को बिस्किट और दूध भीपहुंचाया गया। शाम तक बच्चा अपने पिता की आवाज पर रिस्पांस कर रहा था। धीरे-धीरे उसकी आवाज कमजोर पड़ गई और अंत में सांसों की डोर टूट गई। किसान भगीरथ के मुताबिक बोरवेल 60 फीट गहरा था।
रात का अंधेरा रेस्क्यू ऑपरेशन कमजोर करने लगा। डीएम सत्येंद्र कुमार ने बोरवेल के आसपास सर्चलाइटें लगवाकर रोशनी कराई। जनरेटर का भी इंतजाम किया गया है। लखनऊ से राज्य आपदा मोचन बल की रेस्क्यू टीम भी निरीक्षक वीरेंद्र दुबे के नेतृत्व में रात करीब 8.30 बजे पहुंच गई। बच्चे को बचाने के लिए रातभर रेसक्यू ऑपरेशन चला। मौके पर ग्रामीणों की भीड़ लगी और बच्चे की सलामती के लिए प्रार्थना करते रहे, लेकिन सब व्यर्थ रहा।
बाहर आने पर बच्चे में कोई मूवमेंट नहीं दिखाई दिया, तब तुरंत उसे सामुदायिक केंद्र ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। बोरवेल में गिरकर पहले भी कई मासूमों की जान जा सकी है, लेकिन बोरवेल खुदाई के बाद उसको बंद न करना कितना बड़ा जोखिम हो सकता है, यह उसका जीवंत उदाहरण है।

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