विचार करेगी सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ,’हिंदू वर्ग में कौन आते हैं
1 min readदेश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अपने फैसले में ऐसे नौ बिंदुओं को रखा, जिनकी वजह से इस मामले को वृहद पीठ को भेजा जा रहा है। अपने निर्णय में चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसी बहस को फिर से जीवित करने की कोशिश की है जिसमें, धर्म क्या है, धर्म के महत्वपूर्ण हिस्से कौन से हैं, धर्म के अविभाज्य हिस्से कौन से हैं, आदि प्रश्न शामिल हैं।
कई विविधताओं से भरी भारतीय परिस्थितियों में किसी एक ही देवता को पूजने वाले लोगों के दो वर्गों की पूजा से जुड़ी प्रथाओं में विभिन्नता हो सकती है। इसके बावजूद इन वर्गों को अपनी-अपनी धार्मिक आस्था, अमल और विश्वास के स्वतंत्रता से पालन व प्रचार करने का अधिकार है। इस बात का महत्व नहीं है कि वे अलग धर्म के रूप में पहचाने नहीं जाते हैं।
उनके द्वारा पालन की जा रही धार्मिक प्रधाएं नागरिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और संविधान के तीसरे भाग में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ नहीं जाते, तो इनका पालन करने के लिए वे स्वतंत्र हैं। किसी मंदिर में पूजा करने का व्यक्तिगत अधिकार, उसी मंदिर के धार्मिक समूह के अपने मामलों को खुद चलाने के अधिकार से बढ़ कर नहीं हो सकता।