वहीं, पराली जलाने की सूचना मिलने के बाद भी किसानों को न रोक पाने और लापरवाही पर छाता तहसील के दो लेखपालों को निलंबित कर दिया गया है। 300 किसानों को नोटिस जारी कर करीब 13 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जिला प्रशासन को मथुरा के छाता, कोसीकलां, शेरगढ़ व चौमुहां इलाके में सेटेलाइट से पराली जलाने की लगातार सूचनाएं मिल रही हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए डीएम सर्वज्ञराम मिश्र ने आठ नवंबर को 39 अफसरों की ड्यूटी लगाई है।
मौके पर नहीं पहुंचे थे लेखपाल
पराली जलाने की सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके साथ ही गठित टीमों ने संबंधित क्षेत्र के लेखपालों से कार्रवाई करने को कहा है। इसके बावजूद लेखपाल मौके पर नहीं पहुंचे।
मामले में लापरवाही बरतने पर जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने छाता के बरका इलाके में तैनात लेखपाल विजय सिंह और प्रथम क्षेत्र बिजवारी के लेखपाल दिनेश कुमार को निलंबित कर दिया। एसडीएम छाता नितिन गौड़ ने लेखपालों के निलंबन की पुष्टि की है।
उधर, पुलिस ने छाता में पराली जलाने पर गुलाब निवासी जॉब, पूरन निवासी नरी, वीरमती पत्नी पूरन निवासी नरी, वीरपाल निवासी दद्दी गढ़ी, पप्पू निवाली भदावल, कोसीकलां में ओमी निवासी कमलानगर, तथा शेरगढ़ में पैगांव निवासी अशोक, महेंद्र, राजू, विसंभरा निवासी शाहिल को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने पराली जलाने के मामले में किसानों के खिलाफ वातावरण प्रदूषित करने की धारा 278 व 290 के तहत चालान किया है। इसके बाद किसानों को जेल भेज दिया गया।
300 किसानों पर 13 लाख रुपये जुर्माना
सैटेलाइट से मिली सूचनाओं और वीडियो के माध्यम से छाता इलाके में 300 से अधिक सूचनाएं छाता क्षेत्र से पराली जलाने की मिली। इस पर तहसील, छाता पुलिस व डीएम द्वारा गठित की गई 39 अफसरों की टीम ने 300 स्थानों पर पराली जली मिली देखी।
जिलाधिकारी द्वारा पराली जलाने को लेकर ली गई बैठक में 300 किसानों को नोटिस दिए जाने की बावत बताया गया। किसानों पर 13 लाख पांच हजार जुर्माना लगाया है। किसानों द्वारा पराली जलाने पर जुर्माना वसूली के लिए तहसीलों से कार्रवाई करने को डीएम ने कहा है।
जिले में बढ़ गया था प्रदूषण का स्तर
पराली जलाने से नवंबर के पहले हफ्ते में ही प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी और आंखों में जलन की शिकायत हुई। नवंबर के शुरुआत में मथुरा जिले में अधिकतम प्रदूषण का मानक 152 माइक्रोग्राम पर क्यूब था।
छह नवंबर से यह लगातार बढ़ने लगा और 12, 13 नवंबर को बढ़कर 172 माइक्रोग्राम पर क्यूब हो गया था। इससे दृश्यता भी कम हो गई। दोनों दिनों तक छाई प्रदूषण की धुंध से दृष्यता 500 मीटर तक सिमट गई थी। अब दो दिन से हवा चलने से वायु गुणवत्ता सुधर सकी है।