देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल मार्केटिंग कंपनीभारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में 53.29 फीसदी हिस्सेदारी बेचने से सरकार को 90,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी। हालांकि इस कंपनी को खरीदने के लिए इंडियन ऑयल समेत किसी भी सरकारी कंपनी को मंजूरी नहीं मिलेगी। विनिवेश की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी का शेयर अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर पर चला गया।
इन कंपनियों के शेयरों में दिखा उतार-चढ़ाव
गुरुवार को शेयर बाजार में सरकारी पांच कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बाजार खुलते ही जहां शेयर मजबूती से चढ़े, वहीं कुछ देर बाद ही इनमें गिरावट देखने को मिली। बीपीसीएल का शेयर 0.92 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 549.70 रुपये पर खुला, वहीं थोड़ी देर बाद यह 3.17 फीसदी गिरकर 527.35 पर आ गया। शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के शेयर 2012 फीसदी बढ़कर 69.80 रुपये पर खुला, लेकिन बाद में यह 5.19 फीसदी गिरकर 64.80 पर आ गया। वहीं दूसरी तरफ कंटेनर कॉर्पोरेशन का शेयर 4.67 फीसदी चढ़कर 605 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संकेत दिया है कि कोई भी सरकारी कंपनी बीपीसीएल को नहीं खरीदेगी। हालांकि आईओसी की बीपीसीएल में हिस्सेदारी है और वो ही उसको कच्चे तेल की सप्लाई करती है। जो भी कंपनी बीपीसीएल को खरीदेगी, उसे तेल रिफाइनरी में 14 फीसदी की हिस्सेदारी मिल जाएगी। इसके साथ ही देश के तेल बाजार में एक-चौथाई हिस्सेदारी मिल जाएगी। सरकार की 53.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए किसी भी कंपनी को 62000 करोड़ रुपये और अन्य शेयरहोल्डर की 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए 30000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
कैबिनेट ने बुधवार को लिया था फैसला
केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक सुस्ती से निजात पाने और राजस्व बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों में अब तक के सबसे बड़े विनिवेश को मंजूरी दे दी है। सरकार ने बुधवार को पांच ब्लू चिप कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और ऑनलैंड कार्गो मूवर कॉनकोर आदि में अपनी हिस्सेदारी कम करने का फैसला लिया।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को बताया कि बीपीसीएल में इस समय सरकार की 53.29 फीसदी हिस्सेदारी को बेचा जाएगा और इस कंपनी का प्रबंधकीय नियंत्रण भी खरीदने वाली कंपनी को सौंप दिया जाएगा। हालांकि असम में काम करने वाली सरकारी नुमालीगढ़ रिफाइनरी का विनिवेश नहीं होगा।
कैबिनेट ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में भी सरकार की 63.75 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने का निर्णय लिया है। जबकि रेलवे की कंपनी कॉनकोर को भी बेचा जाएगा। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 54.8 है।इसके अलावा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ-ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लि. की पूरी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचा जाएगा। उपरोक्त पांचों कंपनियों का प्रबंधकीय नियंत्रण खरीदने वाली कंपनी को मिलेगा।