April 26, 2024

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आज गायत्री जयंती आइये जानते है गायत्री मंत्र का क्या होता है अर्थ जाने शुभ मुहूर्त ?

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आज गायत्री जयंती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. गायत्री को ब्रह्मा की पत्नी माना गया है और इनके मूल स्वरुप श्री सावित्री देवी है.

मां गायत्री को गायत्री मंत्र की अधिष्ठात्री देवी और वेदमाता भी कहा गया है. हिंदू धर्म शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप को जीवन के लिए आवश्यक बताया गया है. हिंदू धर्म में चार वेद हैं जिनका नाम है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद.

इन सबमें ही वेदमाता गायत्री और गायत्री मंत्र के जप का उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पूरे दिन में तीन बार भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं

तो आपका जीवन सकारात्मकता की तरह प्रेरित होता है और नकारात्मकता जाती रहती है. यह भी माना जाता है कि मां गायत्री भक्तों के दुखों को हरने वाली हैं. आइए जानते हैं गायत्री जयंती का शुभ मुहूर्त, मंत्र का अर्थ और मंत्र जाप का सही तरीका…

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 20 जून 2021 दिन रविवार शाम 04 बजकर 21 मिनट से.
उदया तिथि 21 जून को है इसलिए गायत्री जयंती आज मनाई जा रही है.
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 21 जून 2021 दिन सोमवार दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 04 मिनट से लेकर 04 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शामि 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक
अमृत काल- सुबह 08 बजकर 43 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक.

ॐ – ईश्वर , भू: – प्राणस्वरूप , भुव: – दु:खनाशक, स्व: – सुख स्वरूप, तत् – उस , सवितु: – तेजस्वी, वरेण्यं – श्रेष्ठ, भर्ग: – पापनाशक, देवस्य – दिव्य, धीमहि – धारण करे, धियो – बुद्धि ,यो – जो, न: – हमारी , प्रचोदयात् – प्रेरित करे. इसे अगर जोड़कर देखा जाए तो इसका अर्थ होगा- ‘उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा (ईश्वर) को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.

मां गायत्री की पूजा के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते समय रीढ़ की हड्डी सीढ़ी करके कुश के आसन के आसन पर पालथी मारकर बैठने की मुद्रा में जाप करना चाहिए. गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले शरीर की शुद्धि कर लेनी चाहिए.

इसके लिए सुबह नहाने धोने के बाद ही जाप करना चाहिए. मंत्रों का जप करते समय उच्चारण का काफी महत्व होता है. इसलिए आहिस्ता आहिस्ता मंत्र का जाप करना चाहिए.अगर आप माला से जाप करना चाहते हैं तो तुलसी के 108 मानकों की माला से भी गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं.

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