राजधानी काठमांडू में सड़कों पर निकले युवाओ ने ‘चीन गो बैक’ के लगाये नारे
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भारत और नेपाल के पड़ोसी देश चीन ने नेपाल की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर कब्जा जमा लिया है. जिसको लेकर नेपाल में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी काठमांडू में सड़कों पर निकले युवा ‘चीन गो बैक’ के नारे लगा रहे हैं.
नेपाल में चीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. लोग जिस नेपाली जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया है, उसे वापस लौटाने की मांग कर रहे हैं.
चीन ने नेपाल की करीब 150 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किया है. नेपाली जमीन पर चीनी कब्जा लिमी लप्चा से लेकर हुमला जिले के हिल्सा तक हुआ है. हुमला में चीन ने 10-11 इमारतों को निर्माण कर लिया है. सभी इमारतें नेपाली सीमा के 2 किलोमीटर भीतर बनी हुई हैं.
हुमला के मुख्य जिला अधिकारी की तरफ से भी चीनी कब्जे की जांच करायी गयी थी. जांच में पाया गया है कि नेपाली जमीन पर चीन की इमारतें बनाने की बात बिल्कुल सही है. इसी के बाद नेपाल में चीन गो बैक के नारे लगने शुरू हो गए हैं.
चीन के इसी कब्जे के खिलाफ नेपाल में प्रदर्शन हो रहे हैं. खासकर नेपाल के युवा चीन के खिलाफ ज़ोर शोर से रैलियां निकाल रहे हैं. पिछले साल भारत के साथ गलवना में चीनी सेना की हुई झड़प के फौरन बाद चीन ने नेपाल के हुमला में 150 हेक्टेयर से ज्यादा की जमीन पर कब्जा कर लिया था.
तब नेपाल पर के पी शर्मा ओली की सरकार थी. जब विवाद बढ़ा तो चीनी के दूतावास ने बाकायदा बयान जारी किया और कहा कि नेपाल और चीन के बीच कोई सीमा विवाद नहीं है. इसके बाद जब नेपाल में सरकार बदली, शेर बहादुर देउबा नेपाल के पीएम बने.
जिसके बाद उन्होंने इसे लेकर बड़ा कदम उठाया. चीनी कब्जे की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनायी गयी. कमेटी बनाने का फैसला खुद शेर बहादुर देउबा ने लिया. चीन के साथ सभी सीमा विवादों पर ये कमेटी रिपोर्ट देगी.
चीन ने मामले को दबाने की पूरी कोशिश की, लेकिन ऐसा हो ना सका. यही नहीं चीन ने सीमा पर जो पिलर्स लगे थे, उन्हें भी बदल दिया. नेपाली जांच के मुताबिक नेपाल-चीन बॉर्डर के पिलर नंबर 11 और 12 को चीन ने बदल दिया है,
जिससे नेपाल के लोग अपने इलाके में नहीं जा पा रहे हैं. चीन की इसी कब्जे वाली नीति के विरोध में नेपाल के युवा सड़कों पर उतर कर उसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.