May 6, 2024

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माता लक्ष्मी की पूजा के लिए करे श्री सूक्त पाठ होंगी माता लक्ष्मी प्रसन्न

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आज शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए होता है. इस दिन आप मां लक्ष्मी के आशीष से धन, संपत्ति, यश, वैभव सबकुछ पा सकते हैं. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए जाते हैं,

उनमें कुछ कठिन होते हैं, जो सबके लिए संभव नहीं होते हैं. आज आपको माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का आसान उपाय बताया जा रहा है. आपको आज माता लक्ष्मी की पूजा कमल के फूल या लाल फूल से करनी चाहिए.

उनको सफेद बर्फी या बताशे का भोग लगाएं. उसके बाद माता लक्ष्मी को ध्यान करके श्री सूक्त का पाठ करें. इसे करने माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न हो सकती हैं

और आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकती हैं. उनकी कृपा से आपको सफलता, यश, धन, वैभव सबकुछ प्राप्त हो जाएगा. श्री सूक्त का पाठ करते समय सही उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए.

श्री सूक्त पाठ
ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्,
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह.

तां म आवह जात वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्.

अश्वपूर्वां रथ-मध्यां, हस्ति-नाद-प्रमोदिनीम्,
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्.

कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं,
पद्मे स्थितां पद्म-वर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्.

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देव-जुष्टामुदाराम्,
तां पद्म-नेमिं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि.

आदित्य वर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः,
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः.

उपैतु मां दैव सखः, कीर्तिश्च मणिना सह,
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिं वृद्धिं ददातु मे.

क्षुत्-पिपासाऽमला ज्येष्ठा, अलक्ष्मीर्नाशयाम्यहम्,
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वान् निर्णुद मे गृहात्.

गन्ध-द्वारां दुराधर्षां, नित्य-पुष्टां करीषिणीम्,
ईश्वरीं सर्व-भूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्.

मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि,
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः.

कर्दमेन प्रजा-भूता, मयि सम्भ्रम-कर्दम,
श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्म-मालिनीम.

आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे,
निच देवी मातरं श्रियं वासय मे कुले.

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, सुवर्णां हेम-मालिनीम्,
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह.

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं, पिंगलां पद्म-मालिनीम्,
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो ममावह.

तां म आवह जात-वेदो लक्ष्मीमनप-गामिनीम्,
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरूषानहम्.

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्,
श्रियः पंच-दशर्चं च, श्री-कामः सततं जपेत्.

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