पत्नी ने सैल्यूट कर दी श्रद्धांजलि
1 min readशहीद चित्रेश बिष्ट को सोमवार सुबह नेहरू कॉलोनी में अंतिम विदाई देने लोग जुट ही रहे थे कि दून के एक और लाल के शहीद होने की खबर से पूरा शहर सन्न रह गया। डंगवाल रोड के रहने वाले मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल पुलवामा में रविवार रात हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को आज अंतिम विदाई दी गई। शहीद मेजर विभूति ढोंडियाल के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर लाया गया। यहां शहीद मेजर का सैन्य सम्मान और वैदिक विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया। मेजर के चाचा जगदीश प्रसाद ढोंडियाल ने उन्हें मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए श्मशान घाट पर भारी संख्या में लोग पहुंचे। इनमें कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, बीईजी रुड़की ब्रिगेडियर रघु श्रीनिवासन, जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कमांडर आमोद कुमार चौधरी, सीडीओ विनीत तोमर, एसएसपी जनमेजय खंडूरी, एसपी क्राइम मंजूनाथ टीसी, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय शामिल हैं।
बता दें कि मेजर विभूति ढौंडियाल का पर्थिव शरीर सोमवार की देर शाम देहरादून स्थित उनके घर पर पहुंच गया था। सेना के जवानों के कंधे पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में घर पहुंचे बेटे को देखकर परिजन बिलख पड़े। सुबह से जहां सन्नाटा पसरा था, वहां एकाएक कोहराम मच गया। वहां मौजूद लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ जुट गई।
घर के सबसे छोटे थे विभूति
तीन बहनों में सबसे छोटे 34 साल के मेजर विभूति की शादी पिछले साल ही 19 अप्रैल को हुई थी। पत्नी निकिता कौल ढौंडियाल दिल्ली में बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती हैं। पिता ओपी ढौंडियाल का निधन 2015 में हो चुका है। इसके बाद से मां सरोज ढौंडियाल बीमार रहने लगी हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। तीसरी बहन की शादी नहीं हुई है। वह दून इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका हैं।
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पौड़ी का रहने वाला है ढौंडियाल परिवार
मेजर विभूति ढौंडियाल का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के बैजरों के पास ढौंड गांव का रहने वाला है। विभूति के दादा केएन ढौंडियाल 1952 में दून आकर बस गए थे। विभूति के पिता और दादा दोनों ही राजपुर रोड स्थित एयरफोर्स के सीडीए कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए थे।
दिल्ली लौटते समय मिली पत्नी को सूचना
शहीद मेजर की पत्नी निकिता कौल ढौंडियाल सप्ताहांत पर ससुराल आती थीं। सोमवार सुबह भी वह ट्रेन से वापस ड्यूटी पर लौट रही थीं। ट्रेन मुजफ्फरनगर ही पहुंची थी कि आर्मी हेडक्वार्टर से उन्हें फोन पर यह दुखद सूचना मिली। इधर, दून इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ा रही बहन को स्कूल के ही एक कर्मचारी ने टीवी पर चल रही खबर के बारे में बताया। वह क्लास छोड़कर वापस घर पहुंचीं तो घर के बाहर काफी लोग खड़े थे। हालांकि, मां और दादी को इसकी सूचना नहीं दी गई।