एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल से खतरे में बच्चे, रोगों से लड़ने की क्षमता हो रही कम
1 min readइन देशों में बच्चों को पांच साल की उम्र में ही 25 तरह के एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करना पड़ा। परिणामों से पता चलता है कि औसतन एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल सांस की बीमारी वाले बच्चों के हर पांच मामले में चार को, दस्त के 50 प्रतिशत मामले में और मलेरिया वाले बच्चों में 28 प्रतिशत मामलो में किया गया।
इन देशों में नेपाल, नामीबिया, केन्या और हैती भी शामिल थे। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन की सह लेखक जेसिका कोहेन ने बताया कि इस अध्ययन के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एंटीबायोटिक्स की खपत के बारे व्यापक जानकारी मिली है।
उच्च आय वाले देशों में एंटीबायोटिक के उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में खासकर बच्चों के बीच इन दवाओं के सेवन के बारे में बहुत कम जानकारी है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि अफ्रीकी देश तंजानिया में 90 फीसद बच्चे जब अस्पताल जाते हैं उन्हें एंटीबायोटिक की एक फुल डोज दी जाती है, जबकि असल में उनको जरूरत केवल उसके पांचवे हिस्से की होती है।
दुनियाभर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी बढ़ सकता है। पहले के अध्ययनों में यह बताया गया है कि दवा प्रतिरोध जिसे एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंट कहते हैं, इसकी वजह से दुनिया में प्रति वर्ष हजारों लोगों की मौत होती है। अगर इसे रोका नहीं गया तो 2050 तक इसकी वजह से प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या एक करोड़ तक पहुंच जाएगी।