Reliance Jio मामले में NCLAT ने खारिज की आयकर विभाग की याचिका .
1 min readरिलायंस की इस योजना से आयकर विभाग को काफी राजस्व हानि की आशंका है। इसलिए आयकर विभाग इसके खिलाफ एनक्लैट पहुंच गया था। अपीलेट टिब्यूनल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजस्व का नुकसान होने का मतलब योजना का नियमों के खिलाफ होना नहीं है।
रिलायंस ने इस मामले में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि उसका टॉवर और ऑप्टिक फाइबर का बिजनेस पहले भी अगल-अलग कंपनी के रूप में स्थापित था। कंपनी के मुताबिक उस दौरान भी इसकी देनदारी और असेट एक-दूसरे से बिल्कुल पृथक थे।
रिलायंस ने अप्रैल में फाइबर और मोबाइल टॉवर बिजनेस को अलग करने की बात कही थी। इस दौरान कंपनी ने बताया था कि फाइबर और टॉवर बिजनेस का नियंत्रण दो अलग-अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट करेंगे। कंपनी ने फाइबर यूनिट को 500 करोड़ रुपये और मोबाइल टॉवर यूनिट को 200 करोड़ रुपये मूल्य की शेयरधारिता देने की बात कही थी।
यह दोनों ट्रस्ट रिलायंस इंडस्टियल इंवेस्टमेंट एंड होल्डिंग्स लिमिटेड द्वारा गठित किए गए हैं और इन पर पूरी तरह से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मालिकाना हक होगा। इस पुर्नगठन को सेबी की ओर से भी हरी झंडी मिल चुकी है।