September 20, 2024

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काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए निर्धारित किये गये ड्रेस कोड ,जींस पहनकर नहीं कर सकेंगे शिव को स्पर्श

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उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर अब वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया जा  रहा है. निर्धारित ड्रेस कोड के मुताबिक मंदिर में काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए अब पुरुषों को धोती-कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना होगा.

भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगो में से एक यूपी के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में जल्दी ही भक्तो के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा  रहा है.

उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर अब वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भी ड्रेस कोड लागू किया जा  रहा है. निर्धारित ड्रेस कोड के मुताबिक मंदिर में काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए अब पुरुषों को धोती -कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना होगा. इन्हीं पारंपरिक वस्त्रों के धारण करने के बाद ही काशी विश्वनाथ को स्पर्श किया जा सकेगा.

काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर तय की गई नई व्यवस्था के तहत अब जींस, पैंट, शर्ट और सूट पहने लोग दर्शन तो कर सकेंगे लेकिन उन्हें स्पर्श दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी.

काशी विद्वत परिषद और प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी के बीच रविवार को कमिश्नरी सभागार में हुई बैठक में इस पर सहमति बनी। विद्वत परिषद ने काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्पर्श के लिए मध्याह्न भोग आरती से पूर्व तक का समय शास्त्र सम्मत माना है। भक्तों को पूर्वाह्न 11 बजे तक बाबा के स्पर्श का अवसर मिलेगा।  

पिछले साल सावन में गर्भगृह में प्रवेश पर ही रोक लगा दी गई थी। भारी भीड़ को इसका कारण बताया गया था। सावन बीतने और भीड़ कुछ कम होने पर 23 अगस्त से एक घंटा गर्भगृह में जाने की छूट मिलने लगी। इस दौरान बाबा के शिवलिंग को स्पर्श करने का भी मौका मिलता है। शाम में सप्तर्षि आरती के पहले एक घंटे तक बाबा का स्पर्श और गर्भगृह में दर्शनार्थी जा सकते हैं। 

कब लागू होगी नई व्यवस्था

यह नई व्यवस्था मकर संक्रांति के बाद लागू होगी और मंगला आरती से लेकर दोपहर की आरती तक प्रतिदिन या व्यवस्था लागू रहेगी.

विद्वानों की सहमति से तय हुआ कि विग्रह स्‍पर्श के लिए पुरुषों को धोती-कुर्ता और महिलाएं को साड़ी पहननी होगी. पैंट शर्ट, जींस, सूट, कोट पहने श्रद्धालु स्‍पर्श करने की बजाए सिर्फ दर्शन कर सकेंगे. ऐसी व्‍यवस्‍था उज्‍जैन के महाकाल समेत दक्षिण भारत के कई मंदिरों में लागू है.

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