सियाचिन में भारतीय जवानों को जरूरत के कपड़े और खाने का सामान नही मिल रहे हैं
1 min readलेह, लद्दाख और सियाचिन जैसे बेहद ऊंचे और दुर्गम स्थानों में तैनात भारतीय सैनिकों को कपड़े, जूते, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ा है. CAG ने खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है.
देश की सरहदों पर तैनात सैनिकों को पर्याप्त मात्रा में कैलरी भी नहीं मिल पा रही है. ये खुलासा भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कि CAG ने अपने एक रिपोर्ट में की है. कैग की ये रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट (snow boot) न मिल पाने की वजह से सैनिकों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा है.
9000 फीट ऊंचाई पर राशन की किल्लत
कैग ने 9000 फीट ऊंचे स्थान पर रहने के लिए दिए जाने वाले विशेष राशन और आवास की व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है. बता दें कि लेह लद्दाख और सियाचिन में रहने वाले जवानों को कैलरी की कमी पूरा करने के लिए विशेष खाना दिया जाता है. कैग के मुताबिक उन्हें इसके इस्तेमाल में भी कंजूसी करनी पड़ी.
कैग ने टिप्पणी की है कि विशेष खाने के बदले दिया जाने वाले सब्स्टीट्यूट की सप्लाई में कमी की वजह से जवानों को कई बार 82 परसेंट तक कम कैलोरी मिली. लेह की एक घटना का जिक्र करते हुए कैग ने कहा है कि यहां से स्पेशल राशन को सैनिकों के लिए जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में ये सामान मिला ही नहीं था.
सैनिकों की हेल्थ पर पड़ा असर
संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए. इससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल नहीं कर पाए. इसका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ा. साथ ही इससे सैनिकों की स्वच्छता (हाइजीन) भी प्रभावित हुई.