मौनी रॉय की इस फिल्म को देखना चाहिए आपको, पढ़ें इस रिव्यू में:-
1 min readटीवी सीरियल ‘नागिन’ से घर-घर में पहचान बनाने वाली मौनी रॉय ने अब बड़े पर्दे पर भी तहलका मचाना शुरू कर दिया है। अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘गोल्ड’ में नजर आ चुकीं मौनी इस वक्त अपनी नई फिल्म ‘लंदन कॉन्फिडेंशियल’ के लिए सुर्खियों में हैं। अगर आपने अभी तक यह फिल्म नहीं देखी है तो आपको देखने से पहले इन पांच बातों को जरूर जान लेना चाहिए।
कौन किस रोल में है
फिल्म में मौनी रॉय ने एक रॉ एजेंट उमा कुलकर्णी का रोल निभाया है। पूरब कोहली ने फिल्म में अर्जुन मनीष कुमार का किरदार निभाया है जो एक किराना की दुकान चलाने वाला अंडरकवर ऑफिसर होता है। कुलराज रंधावा ने निरुपमा दास का किरदार निभाया है, वहीं सागर आर्या ने शरद का। ‘बिग बॉस’ से पहचान बनाने वाले प्रवेश राणा ने आजाद का किरदार निभाया है जो भारतीय दूतावास में एक कर्मचारी रहता है।
लंदन कॉन्फिडेंशियल की कहानी क्या है
इस फिल्म की कहानी बड़ी दिलचस्प जहां पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में है वहीं इस फिल्म की कहानी दिखाती है कि उससे भी ज्यादा खतरनाक एक वायरस भारत चीन के बॉर्डर पर फैल चुका है। बिरेन घोष रॉ के अंडरकवर एजेंट जिसे पता चल जाता है कि इस वायरस के पीछे भी चीन का हाथ है। बिरेन इस सबूत को लंदन में होने वाले एक कॉन्फ्रेंस में पेश करना चाहता है जिससे पूरी दुनिया के सामने चीन की सच्चाई सामने आ जाए। लेकिन कॉन्फ्रेंस से ठीक एक हफ्ते पहले बिरेन गायब हो जाता है, और अगले ही दिन उसकी लाश लंदन की थेम्स नदी में मिलती है।
चीनी इंटेलिजेंस एजेंसी एमएसएस को बिरेन के इस मिशन का पता चल जाता है जिसकी वजह से वह उसे मौत के घाट उतार देते हैं। बिरेन की मौत के बाद इस मिशन पर गए रॉ एजेंट्स के सामने मुसीबत खड़ी हो जाती है। क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि बिरेन लंदन कॉन्फ्रेंस में कौन सा गवाह या सबूत पेश करने वाला था और उनके बीच वह कौन गद्दार है जिसने चीनी इंटेलिजेंस को इस मिशन के बारे में जानकारी दी है?
मात्र 6 दिनों में इन दोनों सवालों का जवाब इन रॉ एजेंट्स को ढूंढना होता है। बिरेन अपने पीछे से एक सुराग छोड़कर गया होता है वह है एक चीनी पेंटिंग जो वह अपनी बॉस उमा कुलकर्णी ( मौनी रॉय ) के लिए छोड़ कर गया होता है। फिल्म में मौनी रॉय और उनकी टीम को यह सब कुछ बिना ब्रिटिश इंटेलिजेंस की नजर में आए करना होता है। इसीलिए इसका नाम ‘लंदन कॉन्फिडेंशियल’ रखा गया है।
स्क्रिप्ट थोड़ी हल्की है
जहां इस फिल्म में घातक वायरस और कोरोनावायरस जैसी महामारी को दिखाया गया है वहीं पूरी फिल्में इससे सुरक्षित रहने के किसी भी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। फिल्म में ना हीं सोशल डिस्टेंसिंग दिखती है ना तो किसी ने मास्क पहना है। शुरू से आखिर तक की कहानी सही नहीं है। कहानी में सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा है। पूरी फिल्म में अर्जुन पहेलियों में बात करते हैं जो आपको बिल्कुल बोर कर देगी। कुलराज रंधावा जो ब्रिटेन में भारतीय राजदूत की भूमिका निभा रहे हैं, अभिनेता निरुपमा दत्ता के रूप में अपने किरदार में वजन नहीं डाल पा रहे हैं। फिल्म का नाम है ‘लंदन कॉन्फिडेंशियल’ लेकिन फिल्म में आपको शुरुआत से ही सब कुछ पता चल जाता है कुछ भी कॉन्फिडेंशियल जैसा नहीं रह जाता।
मौनी रॉय का काम
मौनी रॉय ने फिल्म में अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश की है। एक रॉ ऑफिसर के किरदार में मौनी रॉय के काम की तारीफ हो रही है। अपने सीरियल और फिल्मों से मौनी ने बता दिया है कि वह आगे किसी भी तरह का किरदार निभा सकती हैं।
ओवरऑल क्या हाल है
फिल्म की ओवरऑल बात करें तो फिल्म के स्क्रीनप्ले में इतना दम नहीं दिखा शायद निर्देशक कमल सेठी को इस पर थोड़ा सा और काम करने की जरूरत थी वही डायलॉग्स में भी पंच की कमी दिखी। 87 मिनट की फिल्म बहुत तेजी से भाग रही है। टाइमपास के लिए यह फिल्म आप देख सकते हैं लेकिन इस फिल्म में आपको कुछ खास देखने को नहीं मिलेगा।