पीएम मोदी ने की स्वामित्व योजना की शुरुआत, खत्म होंगे विवाद, आसानी से मिलेगा लोन, जानिए अन्य फायदे:-
1 min readप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सुबह 11 बजे स्वामिता योजना या स्वामिता योजना की शुरुआत की। इसके तहत 763 गांवों के 1.32 लाख लोगों को कागजात (प्रॉपर्ट कार्ड) का वितरण किए गए। इससे पहले पीएम मोदी ने स्वामिता योजना के बारें में ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘रविवार का दिन ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला है। सुबह 11 बजे स्वामित्व योजना के अंतर्गत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया जाएगा। यह योजना करोड़ों भारतीयों के जीवन में मील का पत्थर साबित होगी। स्वामित्व योजना के तहत चरणबद्ध तरीके से देश के लगभग 6.62 लाख गांवों के लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए जाएंगे। ग्रामीणों को अपनी संपत्ति के स्वामित्व का आधिकारिक दस्तावेज मिलेगा, जो उन्हें सशक्त बनाएगा। इसके माध्यम से वे बैंक लोन सहित कई वित्तीय सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।
योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों की संपत्तियों से जुड़ी भौतिक प्रतियां उनके मालिकों को सौंपना है। इससे संपत्ति का डिजिटल ब्योरा रखा जा सकेगा। ग्रामीणों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि दशकों से चले आ रहे सम्पत्ति के उनके विवाद भी खत्म हो जाएंगे। उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
स्वामिता योजना के तहत प्रदान किए जाने वाले प्रॉपर्टी कार्ड को दिखकर ग्रामीण आसानी से लोन ले सकेंगे।सरकार की योजना है कि 2024 तक 6.40 लाख गांवों के सभी शहरी या अबादी (आबादी वाले) क्षेत्रों का नक्शा तैयार कर लिया जाए।
स्वामिता योजनाके तहत पहले चरण में जिन ग्रामीणों को डिजिटल कार्ड प्रदान किए जाएंगे, उनमें हरियाणा के 221, कर्नाटक के दो, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तर प्रदेश के 346 और उत्तराखंड के 50 सम्पत्ति मालिक शामिल हैं। कुल मिलाकर 763 गांवों के जमीन मालिकों को फिजिकल कॉपी के साथ-साथ डिजिटल संपत्ति कार्ड भी प्राप्त होंगे।
स्वामिता योजना में राजस्व विभाग और संबद्ध विभागों की अहम भूमिका रही है। इनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लोगों के स्वामित्व का रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही विवादों के मौके पर निपटान के लिए एक अलग व्यवस्था तैयार की गई है।
कोर्ट का बोझ भी हल्का होगा
एक अनुमान के मुताबिक, अभी देश में चल रहे कोर्ट केसों में 40 फीसदी जमीन संबंधी विवाद है। स्वामिता योजना लागू होने से कब्जे, जल निकासी, सीमाओं के बारे में विवाद में कमी आएगी।