अनुराधा पौडवाल ने करियर की ऊंचाई पर फिल्मी गानों से बना ली थी दूरी, कभी घर-घर गूंजती थी आवाज:-
1 min readअनुराधा पौडवाल का नाम आते ही जेहन में 90 के दशक के वो गाने गूंजने लगते हैं, जो हिंदी सिनेमा में अमर हो गए हैं। कुमार शानू और उदित नारायण के साथ अनुराधा पौडवाल के गाए गीत दशकों के बाद भी आज उतने ही पसंद किए जाते हैं, जितना क्रेज उस वक्त हुआ करता था। अपनी सुरीली आवाज से लाखों फैंस के दिलों पर राज करने वालीं अनुराधा पौडवाल से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं, जो बेहद कम लोग जानते हैं। जन्मदिन के मौके पर साक्षी समाचार आपके लिए अनुराधा पौडवाल से जुड़ी कुछ ऐसी ही जानकारी साझा कर रहा है।
अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर 1954 को कर्नाटक में हुआ था, लेकिन बचपन वह मुंबई में ही रही थीं। अनुराधा पौडवाल को संगीत का शौक बचपन से था। वह बहुत ही छोटी उम्र से गाने गाती थीं। उनका विवाह अरुण पौडवाल से हुई थी जो प्रसिद्ध संगीतकार एसडी बर्मन के सहायक थे।
पति की मौत से टूट गईं थी अनुराधा
जिस वक्त अनुराधा पौडवाल बॉलीवुड में अपने शिखर पर थीं, उसी वक्त उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। एक सड़क हादसे में पति अरुण को खोने के बाद वह पूरी तरह से टूट गई थीं। अनुराधा पौडवाल को उनके पति का काफी सपोर्ट मिलता था। अरुण खुद एक संगीतकार थे। अनुराधा ने 1974 में पति अरुण पौडवाल के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘भगवान समाये संसार में’ मुकेश ओर महेंद्र कपूर के साथ गाना गाया था।
हर फिल्म में होती थी अनुराधा पौडवाल की आवाज
अनुराधा पौडवाल ने साल 1973 में आई अमिताभ और जया बच्चन की फिल्म ‘अभिमान’ से अपना करियर शुरू किया था, जिसमे उन्होंने एक गीत गया था। अनुराधा की आवाज लोगों को इतनी पसंद आई कि समय के साथ वह घर-घर में गूंजने लगी। एक दौर ऐसा भी था कि शायद ही ऐसी कोई फिल्म होती थी, जिसमें अनुराधा की आवाज नहीं होती थी। 90 का दशक आते-आते वह अपने करियर के शिखर पर थीं। फिल्मों के हिट होने की गारंटी उनकी आवाज को माना जाने लगा था।
लता के बाद अनुराधा का शुरू हुआ था कॉन्सेप्ट
करियर के ऊंचाई पर अनुराधा पौडवाल को लता मंगेशकर और आशा भोसले के साथ गाने का मौका मिलने लगा था। फिल्म इंडस्ट्री में यह कॉन्सेप्ट शुरू हो गया था कि अगर लता मंगेशकर किसी गाने को गाने से इनकार कर देती थीं तो अगला नाम अनुराधा पौडवाल का ही सामने आता था। अनुराधा पौडवाल ने 80 से 90 के दशक में लगभग सभी बड़े सिंगर्स के साथ काम किया। हालांकि पति की मौत के बाद वह बिल्कुल टूट गईं और संगीत से दूरी बना ली।
ऐसे खत्म हो गया उभरता करियर
करियर के टॉप पर रहते हुए अनुराधा पौडवाल ने फिल्मी गानों से किनारा कर लिया और भक्ति गीत, भजन गाने लगीं। अनुराधा के जाने के बाद अल्का याग्निक और कविता कृष्णमूर्ति इंडस्ट्री में अपनी पकड़ बनाने लगीं और उन्हें मौका मिलने लगा। केवल भक्ति गीत गाने से धीरे-धीरे उनका करियर ढलता गया और वह संगीत की दुनिया से दूर होती गईं। इसके अलावा अपनी सफलता के चरम पर उन्होंने केवल टी-सीरीज के साथ काम करने की घोषणा कर दी, जिसका लाभ अल्का याग्निक को मिला।
लता मंगेशकर को सुनकर सीखा गाना
एक इंटरव्यू में अनुराधा पौडवाल ने बताया था कि लताजी को सुनते-सुनते और खुद घंटो अभ्यास करते-करते ही अपने सुर बनाए। लता मंगेशकर अनुराधा पौडवाल के लिए भगवान से कम नहीं है, क्योंकि वह अपनी सभी सफलताओं का श्रेय लता जी को ही देती हैं। उनका कहना है कि “मैंने कई गुरुओं के सानिध्य में संगीत सीखा। लेकिन, लता जी की आवाज़ मेरे लिए एक प्रेरणा स्त्रोत थी, जिसने एक संस्थान के रूप में मेरा मार्गदर्शन किया।”
अनुराधा पौडवाल का फिल्मी करियर
साल 1976 में फिल्म कालीचरण में गाना गाया। उन्होंने सोलो गाने की शुरूआत फिल्म आप बीती से की थी। अनुराधा को फिल्म ‘हीरो’ के गानो की सफलता के बाद लोकप्रियता मिली। उन्होंने लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के साथ जोड़ी बनाई। हीरो की सफलता के बाद इस जोड़ी ने कई और फिल्मों मे सफल गाने दिए जैसे, ‘मेरी जंग’, ‘बंटवारा’, ‘राम लखन’ और आखिरी में ‘तेजाब’। फिल्मों में गाने के साथ-साथ वो स्टेज शो भी करती थीं। किशोर कुमार के साथ उन्होंने करीब 300 स्टेज शो किए।