December 10, 2024

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देखे अयोध्या की लड़ाई में मुस्लिम लोगो ने की सुप्रीमकोर्ट से यह मांग और साथ लिखा पत्र.

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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में प्रमुख मुद्दई रहे इकबाल अंसारी तथा कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार से वर्ष 1991 में अधिग्रहीत की गई भूमि में से मस्जिद के लिए जमीन देन की मांग की है.विवादित ढांचे के आसपास की 67 एकड़ जमीन 1991 में केंद्र सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी.

सरकार अगर हमें कुछ तसल्ली देना चाहती है तो उसे 1991 में अधिग्रहित की गई 67 एकड़ भूमि में से ही कोई जमीन देनी चाहिए. उस जमीन पर कई कब्रिस्तान और सूफी संत काजी क़िदवा समेत कई दरगाहे हैं.मामले के एक अन्य मुद्दई हाजी महबूब ने कहा कि हम झुनझुना स्वीकार नहीं करेंगे. सरकार को साफ तौर पर बताना होगा कि वह हमें कहां जमीन देने जा रही है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर वर्ष 2002-03 में विवादित जमीन से जुड़े मुकदमे के निस्तारण के लिए साक्ष्य की तलाश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से विवादित परिसर क्षेत्र में खुदाई कराई गई थी. मुकदमे से जुड़े सभी पक्षों के पक्षकारों की मौजूदगी के बीच कराई गई खुदाई से प्राप्त अवशेषों को अधिगृहित परिषद क्षेत्र के ही तीन कमरों में रखा गया है

मौलाना खालिक अहमद खां का कहना है कि अभी सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं दिया गया है. ऐसे में मुस्लिम पक्षकारों को निरीक्षण के लिए जाने से नहीं रोका जा सकता. यह पूरी तरह अवैधानिक है. परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त को लिखित शिकायत दी जा रही थी, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया. इसके चलते सुप्रीम कोर्ट और रिसीवर को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजा गया है. पत्र में सुप्रीम कोर्ट से विवादित परिसर का निरीक्षण बहाल और बिना मुस्लिम पक्षकारों के अवशेष रखे कमरों का ताला न खोलने की मांग की गई है.
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