December 18, 2024

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Nirbhaya Case:फांसी टालने के खिलाफ आज दोपहर 3 बजे दिल्ली हाईकोर्ट करेगा फैसला

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निर्भया के गुनहगारों की फांसी पर रोक लगाने के पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने शनिवार को हाई कोर्ट में अपील की। अति आवश्यक सुनवाई के लिए दायर इस याचिका पर अदालत का समय पूरा होने के बावजूद पांच बजे सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सुरेश कैथ ने चारों दोषियों, महानिदेशक तिहाड़ और जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करते हुए 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी देने पर रोक लगाने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल के समक्ष पेश किया गया था। जेल अधिकारियों ने निचली अदालत के शुक्रवार (31 जनवरी) के आदेश को चुनौती दी है जिसमें अगले आदेश तक दोषियों की फांसी की सजा पर तामील को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया था। दोषियों को शनिवार (1 फरवरी) को फांसी दी जानी थी।

दूसरी बार टली थी फांसी की सजा

दिल्ली की एक अदालत द्वारा शुक्रवार (31 जनवरी) को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों की मृत्यु के वारंट की तामील अगले आदेश तक स्थगित किए जाने के बाद उन्हें शनिवार सुबह दी जाने वाली फांसी एक बार फिर टाल दी गई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया किया था। चारों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने की मांग की थी। पवन कुमार गुप्ता (25), विनय कुमार मिश्रा (26), अक्षय कुमार (31) और मुकेश कुमार सिंह (32) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी।

दूसरी बार मृत्यु वारंट की तामील टाली गई है। पहली बार सात जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने का मृत्यु वारंट जारी किया गया था। इस पर 17 जनवरी को स्थगन दिया गया था। उसी दिन फिर उन्हें एक फरवरी को फांसी देने के लिए दूसरा वारंट किया गया जिस पर शुक्रवार (31 जनवरी) को रोक लगा दी गई।

पवन, विनय और अक्षय के वकील ए. पी. सिंह ने अदालत से फांसी पर अमल को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं। तिहाड़ जेल प्रशासन ने उनके आवेदन को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह विचारयोग्य नहीं है तथा उन्हें अलग-अलग फांसी दी जा सकती है, लेकिन तिहाड़ जेल की यह दलील अदालत में स्वीकार नहीं हुई।

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