May 4, 2024

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लॉक डाउन के चलते सरकार ने FDI पॉलिसी में किया एक बड़ा बदलाव

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दुनिया भर में कोरोना फैलाने वाला चीन नई चालबाजी में जुट गया है. चीन आर्थिक मंदी की चपेट में आई दुनिया भर की बड़ी कंपनियों को निवेश का लालच देकर उसपर कब्जे की कोशिश कर रहा है. इन्हीं कोशिशों के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. भारत सरकार ने अपनी एफडीआई पॉलिसी में बड़ा परिवर्तन किया है.कोरोना वायरस के खौफ के चलते विदेशी कंपनियों खासकर चीन की कंपनियों के भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने की कोशिशों की खबरों के बीच भारत सरकार ने अपनी FDI पॉलिसी में बड़ा परिवर्तन किया है. भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत के पड़ोसी देशों के लिए अब सरकारी मंजूरी को अनिवार्य कर दिया है.

हाल ही में चीन के सेंट्रल बैंक में एचडीएफसी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई थी. इसके बाद से यह अंदेशा बना हुआ था कि भारतीय कंपनियों में चीनी कंपनियां बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी खरीद सकती हैं. भारत सरकार ने अब FDI नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि भारत के साथ लैंड बॉर्डर साझा करने वाले सभी देशों को भारतीय कंपनियों में निवेश बढ़ाने से पहले सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा बता दें कि कोरोना संकट से दुनिया में कारोबार ठप है, अर्थव्यवस्ताएं ध्वस्त हो रही हैं, शेयर बाजारों में हाहाकार मचा है, बड़ी-बड़ी कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं. वर्ल्ड बैंक से लेकर RBI तक ने चेतावनी दी है कि दुनिया बहुत बड़ी मंदी की चपेट जाने वाली है. और चीन जैसे कुछ ताकतवर मुल्क इसी का फायदा उठाना चाहते हैं ताकि दुनिया पर उनका एकछत्र राज हो सके.

भारत सरकार ने भी इस खतरे को भांपते हुए चीन का नाम लिए बगैर अपनी एफडीआई पॉलिसी में बड़ा परिवर्तन किया है. नए नियम के मुताबिक अब किसी भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए पड़ोसी देशों को सरकार की मंजूरी लेनी होगी. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में किया गया बदलाव उन सभी देशों के लिए होगा जिनकी भारत से सीमा लगती है. जिन देशों की सीमा भारत से लगती है उनमें चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं. इन सात देशों में से सिर्फ चीन ही ऐसा देश है जो भारतीय कंपनियों को खरीदने की हैसियत रखता है.

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