लखनऊ के एरा मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर अलीम सिद्दीकी ने कहा, आत्महत्या के लिए जीन जिम्मेदार है
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परिवार या खानदान से यह प्रवृति चलती है। खानदान में किसी ने कभी आत्महत्या की हो तो ऐसे परिवार के लोग हाई रिस्क में होते हैं। हालांकि, आत्महत्या की प्रवृत्ति पर 100 फीसदी काबू पाया जा सकता है। इसके लिए घर में आपस में बात करने की जरूरत है। ये बातें लखनऊ के एरा मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विशेषज्ञ प्रोफेसर अलीम सिद्दीकी ने कही। डॉ. अलीम सिद्दीकी ने कहा कि बीते 10 वर्षों में आत्महत्या का ग्राफ 17 फीसदी बढ़ा है। देश में हर पांच मिनट में एक आत्महत्या रिपोर्ट हो रही है। उन्होंने बताया कि मनोरोग सम्बंधी 50 फीसदी बीमारी 14 वर्ष से कम आयु में ही बन जाती है। वह शनिवार को एसोसिएशन ऑफ साइकियाट्रिक्स की वार्षिक कार्यशाला में बोल रहे थे। उन लोगों में आत्महत्या की प्रवृति ज्यादा मिलती है, जिनमें तनाव झेलने की क्षमता कम होती है। इससे पूर्व संगठन के चेयरमैन डॉ. आरके महेन्दू, संयोजक सचिव डॉ. रवि कुमार, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ. धनंजय चौधरी व डॉ. गणेश शंकर ने कार्यशाला का शुभारम्भ किया। इसके लिए परिवार का ढांचा बदलने की जरूरत है। डॉ. सिद्दीकी ने कहा कि घर, परिवार के लोग और दोस्त आत्महत्या रोक सकते हैं। इसके लिए आपस में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी दोस्त ने अपने दोस्त से कहा कि आत्महत्या का विचार आ रहा है तो तुरंत उससे बात करनी चाहिए। परिजनों को भी तुरंत जानकारी देनी चाहिए। परिजन इसे पूरी तरह से रोक सकते हैं। आत्महत्या पर बात करने से आत्महत्या बढ़ती नहीं, बल्कि कम होती है। इसके अलावा कार्यशाला में सीजोफ्रेनिया, अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर, ड्रग एडिक्शन आदि विषयों पर 14 विशेषज्ञों ने विचार रखे।