June 13, 2025

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अयोध्या से बक्सर तक निकलेगी ‘रघुभूमि से तपोभूमि’ यात्रा

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11 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा (सरयू अवतरण दिवस) पर होगा शुभारंभ
लखनऊ। प्रभु श्रीराम की पदचिह्नों पर चलते हुए “रघुभूमि से तपोभूमि” की ऐतिहासिक यात्रा इस वर्ष भी 11 जून, बुधवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा (माता सरयू के अवतरण दिवस) पर अयोध्या धाम से प्रारंभ होगी। सामाजिक संगठन ‘लोक दायित्व’ द्वारा आयोजित इस यात्रा का उद्देश्य न केवल प्रभु श्रीराम के तपस्थलों को जागृत करना है, बल्कि लुप्तप्राय माता मूल (छोटी) सरयू को सदानीरा और जीवंत बनाए रखने हेतु जनजागरण भी करना है।

यह यात्रा उसी मार्ग से गुज़रेगी, जिस पर चलकर प्रभु राम और लक्ष्मण ने ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के साथ बक्सर में यज्ञ की रक्षा की थी।
प्रथम दिवस यात्रा अयोध्या जी से प्रारंभ होकर राजा दशरथ समाधि स्थल पूरा बाजार, श्रृंगी ऋषि आश्रम, महबूबगंज, टांडा, राजा मोरध्वज किला, चाड़ीपुर होते हुए भैरव धाम, महराजगंज पहुंचेगी जहां सरयू माता के प्राकट्य दिवस पर भव्य आरती का आयोजन होगा। रात्रि विश्राम झारखंडे महादेव मंदिर, जलालपुर में किया जाएगा।

12 जून को द्वितीय दिवस की यात्रा जलालपुर से प्रारंभ होकर बिलरियागंज, मालटारी, जीयनपुर, सलोना ताल होते हुए बारह दुअरिया मंदिर (नौसेमर), रामघाट, गयाघाट, सिधागर घाट, लखनेश्वर डीह, आमघाट नगहर (बलिया) से होते हुए कारो धाम, बलिया में विश्राम करेगी। कारो धाम वही स्थल है जहां शिव ने कामदेव को भस्म किया था। यहीं दूसरे दिवस की यात्रा का विश्राम होगा।

13 जून को तीसरे दिन की यात्रा कारों धाम से प्रारंभ होकर सुजायत (सुबाहु का टीला), मरची (मारीच का गांव), भरौली (जहां प्रभु के पहुंचने पर प्रभात हुआ था), और उजियार घाट (जहां राम ने पहली बार गंगा के दर्शन किए) होते हुए पावन गंगा तट पर पूजन-अर्चन के साथ बक्सर में प्रवेश करेगी।

बक्सर में यात्रा के प्रमुख पड़ाव रामरेखा घाट (जहां राम ने ताड़का वध के बाद शिवलिंग की स्थापना की थी), सिद्धाश्रम (विश्वामित्र का यज्ञ स्थल), वामन मंदिर और श्रीराम चबूतरा होंगे। अंततः यात्रा बसांव मठ पहुंचेगी, जहां दोपहर प्रसाद (कड़ी चावल) के साथ यात्रा का समापन होगा। मान्यता है कि यहीं श्रीराम ने यह भोग अर्पित किया था।

इस दिव्य यात्रा के संयोजक श्री पवन कुमार सिंह, यात्रा प्रमुख डॉ. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, और सर्वव्यवस्था प्रमुख श्री अरविंद सिंह हैं। यात्रा में लगभग 20 वाहन, एक विशेष रथ (जिसमें राम, लक्ष्मण एवं विश्वामित्र की झांकी होगी), व भजन-कीर्तन दल शामिल रहेंगे।

यात्रा के सहयात्री दुर्गेश सिंह कौशिक ने बताया कि “यह यात्रा केवल आध्यात्मिक परंपरा का निर्वहन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक भावपूर्ण प्रयास है। हमारा उद्देश्य है कि श्रीराम के जीवन से जुड़ी इन पावन स्थलों की पहचान जनचेतना में पुनः स्थापित हो और लुप्तप्राय माता मूल (छोटी) सरयू को सदानीरा और पानीदार बनाने हेतु जनसमर्थन खड़ा हो। हमारी यात्रा उसी ‘रामत्व’ की खोज है, जो रघुकुल परंपरा में मर्यादा और त्याग का प्रतीक रहा है।”

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