पूर्वोत्तर के हितों का रखा ख्याल, फिर क्यों बरपा है हंगामा
1 min readबंगाल में तीसरे दिन भी उत्पातियों ने मुर्शिदाबाद के पास रेलवे स्टेशनों में तोड़फोड़ और आगजनी की। रेल पटरी पर टायर जलाकर ट्रेनों को रोका और पथराव किया। मौके पर पहुंची पुलिस के वाहन को भी फूंक दिया।एहतियातन कई ट्रेनों को रद कर दिया गया। छह जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।
पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में प्रावधान
इसी साल नवंबर में मेघालय कैबिनेट ने मेघालय रेजिडेंट्स सेफ्टी एंड सिक्योरिटी एक्ट 2016 में संशोधन को मंजूरी दी है। यह कदम आइएलपी जैसे शासन को लागू करने की मांग की पृष्ठभूमि में सामने आया है। वहीं असम में भी आइएलपी शासन जैसे नियमों को लागू करने की मांग सामने आई है।
छठी अनुसूची के साथ असम में तीन और त्रिपुरा में एक परिषद है। मणिपुर और त्रिपुरा रियासतों का 1949 में भारत में विलय हुआ। 1972 में ये पूर्ण राज्य बने। त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में छठी अनुसूची लागू है। जब त्रिपुरा को छठी अनुसूची के जरिए सुरक्षित किया गया तो केंद्र ने कहा कि जल्द ही इसे मणिपुर में भी लागू किया जाएगा, लेकिन यह अभी तक वास्तविकता नहीं बन सकी है। हालांकि राज्य सरकार तीन बार छठी अनुसूची की मांग कर चुकी है।
छठी अनुसूची के साथ असम में तीन और त्रिपुरा में एक परिषद है। मणिपुर और त्रिपुरा रियासतों का 1949 में भारत में विलय हुआ। 1972 में ये पूर्ण राज्य बने। त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में छठी अनुसूची लागू है। जब त्रिपुरा को छठी अनुसूची के जरिए सुरक्षित किया गया तो केंद्र ने कहा कि जल्द ही इसे मणिपुर में भी लागू किया जाएगा, लेकिन यह अभी तक वास्तविकता नहीं बन सकी है। हालांकि राज्य सरकार तीन बार छठी अनुसूची की मांग कर चुकी है।
जब इसे बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट 1873 के अंतर्गत लागू किया तो उसका उद्देश्य राजा के व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ब्रिटिश शासन (भारतीय) को व्यापार करने से रोकना था। हालांकि 1950 में भारत सरकार ने स्थानीय लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए ‘ब्रिटिश शासन’ के स्थान पर ‘भारत के नागरिक’ कर दिया।